वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 17: श्रीराम का राजपथ की शोभा देखते और सुहृदों की बातें सुनते हुए पिता के भवन में प्रवेश
»
श्लोक 11
श्लोक
2.17.11
ततो हि न: प्रियतरं नान्यत् किंचिद् भविष्यति।
यथाभिषेको रामस्य राज्येनामिततेजस:॥ ११॥
अनुवाद
play_arrowpause
अभिषेक होने के पश्चात राज्य में अमित तेजस्वी श्रीराम हमारे लिए सबसे प्रिय कार्य होंगे। इससे बढ़कर कोई भी कार्य हमारे लिए अधिक प्रिय नहीं होगा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.