श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 17: श्रीराम का राजपथ की शोभा देखते और सुहृदों की बातें सुनते हुए पिता के भवन में प्रवेश  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  2.17.10 
 
 
अलमद्य हि भुक्तेन परमार्थैरलं च न:।
यदि पश्याम निर्यान्तं रामं राज्ये प्रतिष्ठितम्॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि हम राज्य पर प्रतिष्ठित श्रीराम का अपने पिता के घर से निकलते हुए दर्शन कर लें, तो अब हमें इस संसार के भोगों और मोक्ष की प्राप्ति का क्या करना है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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