समुद्र में मकर मछली जैसे रत्नों से भरे हुए पानी में बेधड़क प्रवेश करती है, उसी प्रकार सारथि सुमन्त्र ने पर्वत शिखर पर चढ़े मेघ के समान विमान से संयुक्त और प्रचुर मात्रा में रत्नों से भरे महल में बिना किसी रोक-टोक के प्रवेश किया।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे पञ्चदश: सर्ग:॥ १५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें पंद्रहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥१५॥