उस भवन के द्वार पर पहुँचते ही सुमन्त्र ने देखा कि श्रीराम की वंदना के लिए हाथ जोड़े हुए जनपदवासी उपस्थित थे। वे सभी अपनी सवारी से उतरकर हाथों में नाना प्रकार के उपहार लेकर खड़े थे। इनकी संख्या करोड़ों और परार्ध थी, जिसके कारण वहाँ बहुत बड़ी भीड़ लग गई थी।