स तत्र शुश्राव च हर्षयुक्ता
रामाभिषेकार्थकृतां जनानाम्।
नरेन्द्रसूनोरभिमङ्गलार्था:
सर्वस्य लोकस्य गिर: प्रहृष्टा:॥ ४३॥
अनुवाद
वह वहाँ श्रीराम के राज्याभिषेक के लिये किये जाने वाले अनुष्ठानों में लगे लोगों की खुशी से भरी बातें सुन रहे थे, जो राजकुमार श्रीराम के लिए सभी ओर से मंगलकामनाएँ सुना रही थीं। इसी तरह उन्होंने अन्य सभी लोगों की भी खुशी और उत्साह से भरी बातें सुनीं।