सारथि सुमन्त्र रथ में सवार होकर राजभवन की ओर बढ़े। उनका रथ लोहे की चद्दरों से बना हुआ था और उसमें अच्छे घोड़े जुते हुए थे। रथ के चारों ओर लोगों की भीड़ थी और वे सुमन्त्र के रथ को देखकर खुश हो रहे थे। सुमन्त्र का रथ राजमार्ग से गुजरते हुए पूरे नगर के लोगों का मन आनंदित कर रहा था। अंततः सुमन्त्र श्रीराम के भवन के पास पहुँचे।