श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 15: सुमन्त्र का राजा की आज्ञा से श्रीराम को बुलाने के लिये उनके महल में जाना  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  2.15.39 
 
 
महामेघसमप्रख्यमुदग्रं सुविराजितम्।
नानारत्नसमाकीर्णं कुब्जकैरपि चावृतम्॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  वह महाराजा का विशाल राजमहल महान् मेघखंड के समान ऊँचा और अत्यंत सुंदर शोभा से सम्पन्न था। इसकी दीवारों में नाना प्रकार के रत्न जड़े हुए थे। महल में कुबड़े सेवकों की भरमार थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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