नृशंस पापिनी कैकेयी! तुम्हारा हृदय पत्थर जैसा कठोर है और तुम्हारे विचार सदैव पापमय रहते हैं। श्रीराम सत्य और पराक्रम के अवतार हैं और वे मुझे अत्यंत प्रिय हैं। तुम मुझे उनसे दूर करने पर क्यों तुली हुई हो? यदि तुम ऐसा करती हो, तो निश्चय ही तुम्हारी बदनामी ऐसी फैलेगी कि संसार में इसकी कोई तुलना नहीं होगी।