श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 12: महाराज दशरथ की चिन्ता, विलाप, कैकेयी को फटकारना, समझाना और उससे वैसा वर न माँगने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 99
 
 
श्लोक  2.12.99 
 
 
कस्येदं दारुणं वाक्यमेवंविधमपीरितम्।
रामस्यारण्यगमनं भरतस्याभिषेचनम्॥ ९९॥
 
 
अनुवाद
 
  किसके कहने पर तूने श्रीराम के वनवास और भरत के राज्याभिषेक के बारे में इतना कठोर वाक्य कहा है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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