श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 12: महाराज दशरथ की चिन्ता, विलाप, कैकेयी को फटकारना, समझाना और उससे वैसा वर न माँगने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 88
 
 
श्लोक  2.12.88 
 
 
मृते मयि गते रामे वनं मनुजपुङ्गवे।
इष्टे मम जने शेषे किं पापं प्रतिपत्स्यसे॥ ८८॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि मैं नहीं रही और श्रीराम वन चले गए, तो जो मेरे प्रियजन (कौसल्या आदि) यहाँ रहेंगे, उन पर तू क्या अत्याचार करेगा?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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