श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 12: महाराज दशरथ की चिन्ता, विलाप, कैकेयी को फटकारना, समझाना और उससे वैसा वर न माँगने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  2.12.41 
 
 
यस्या: प्रसादे जीवामि या च मामभ्यपालयत्।
तस्या: कृता मया मिथ्या कैकेय्या इति वक्ष्यसि॥ ४१॥
 
 
अनुवाद
 
  उन कैकयी की खातिर जिसके प्रसाद से मैं अब तक जीवित हूँ, जिसने मुझे (बड़े संकट से) बचाया, मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, उसे झूठ सिद्ध कर दिया है। यही तुम कहोगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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