हे सुन्दर नेत्रों वाली कैकेयी! जो श्रीराम सदैव तुम्हारी सेवा और शुश्रूषा में लगे रहते हैं, उन्हें देश से निकालने की इच्छा तुम्हारे मन में क्यों उठ रही है? श्रीराम तो तुम्हारे लिए बहुत ही प्रिय और प्रिय हैं, फिर तुम उन्हें देश से निकालना क्यों चाहती हो?