स मे ज्येष्ठसुत: श्रीमान् धर्मज्येष्ठ इतीव मे।
तत् त्वया प्रियवादिन्या सेवार्थं कथितं भवेत्॥ १७॥
अनुवाद
तुम पहले कहती थी कि "श्रीराम मेरे बड़े बेटे हैं, वे धर्म के आचरण में भी सबसे बड़े हैं!" पर अब पता चला कि तुम ऊपरी तौर पर मीठी-मीठी बातें करती थीं और वो बात तुमने श्रीराम से सिर्फ अपनी सेवा करवाने के लिए ही कही होगी।