वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 12: महाराज दशरथ की चिन्ता, विलाप, कैकेयी को फटकारना, समझाना और उससे वैसा वर न माँगने के लिये अनुरोध करना
»
श्लोक 13-14h
श्लोक
2.12.13-14h
तिष्ठेल्लोको विना सूर्यं सस्यं वा सलिलं विना॥ १३॥
न तु रामं विना देहे तिष्ठेत्तु मम जीवितम्।
अनुवाद
play_arrowpause
सम्भव है सूर्य के बिना यह संसार चल सके या पानी के बिना खेती हो सके, परंतु श्रीराम के बिना मेरे शरीर में प्राण नहीं रह सकते।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.