जब मैं अपने पुत्र श्रीराम को देव कुमार के समान कमनीय रूप से अलंकृत होकर सामने आते देखता हूँ, तो उनकी शोभा निहारकर निहाल हो जाता हूँ। उन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो मैं फिर से जवान हो गया हूँ। उनकी मधुर मुस्कान और आकर्षक व्यक्तित्व मुझे मोहित कर लेता है। उनके साथ समय बिताना मेरे लिए सबसे सुखद अनुभव होता है।