श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 12: महाराज दशरथ की चिन्ता, विलाप, कैकेयी को फटकारना, समझाना और उससे वैसा वर न माँगने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  2.12.1 
 
 
तत: श्रुत्वा महाराज: कैकेय्या दारुणं वच:।
चिन्तामभिसमापेदे मुहूर्तं प्रतताप च॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  कैकेयी के कठोर वचन सुनकर महाराज दशरथ को बड़ी चिंता हुई। वे एक पल के लिए बहुत दुखी और व्याकुल हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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