श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 118: सीता-अनसूया-संवाद, अनसूया का सीता को प्रेमोपहार देना तथा अनसूया के पूछने पर सीता का उन्हें अपने स्वयंवर की कथा सुनाना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  2.118.11 
 
 
वरिष्ठा सर्वनारीणामेषा च दिवि देवता।
रोहिणी न विना चन्द्रं मुहूर्तमपि दृश्यते॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  रोहिणी, जो देवलोक की सर्वोच्च देवी हैं, वह एक पल के लिए भी चंद्रमा से अलग नहीं होती हैं। उनका पति के प्रति समर्पण ही इसका कारण है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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