हे महायशस्वी श्रीराम! रघुवंशियों के जो सनातन धर्म हैं, उसे आज नष्ट न करो। बहुत-से देशों से युक्त तथा अनेक रत्नों से परिपूर्ण पृथ्वी का पिता के समान शासन करो।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे दशाधिकशततम: सर्ग:॥ ११०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें एक सौ दसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ११०॥