श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 110: वसिष्ठजी का ज्येष्ठ के ही राज्याभिषेक का औचित्य सिद्ध करना और श्रीराम से राज्य ग्रहण करने के लिये कहना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  2.110.15 
 
 
यशस्वी ध्रुवसंधेस्तु भरतो रिपुसूदन:।
भरतात् तु महाबाहोरसितो नाम जायत॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  ध्रुवसंध धी यशस्वी पुत्र भरत थे, जो रिपुसूदन कहलाते थे। महाबाहु भरत से असित नामक पुत्र उत्पन्न हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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