श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 11: कैकेयी का राजा को दो वरों का स्मरण दिलाकर भरत के लिये अभिषेक और राम के लिये चौदह वर्षों का वनवास माँगना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  2.11.9 
 
 
भद्रे हृदयमप्येतदनुमृश्योद्धरस्व मे।
एतत् समीक्ष्य कैकेयि ब्रूहि यत् साधु मन्यसे॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  हे भद्रे! हे कैकेयीराज कुमारी! मेरा हृदय भी तुम्हारे वचनों की पूर्ति के लिए तत्पर है। तुम अपनी इच्छा व्यक्त करके इस दुःख से मेरा उद्धार करो। श्रीराम सबको अधिक प्रिय हैं, इस बात पर दृष्टिपात करके तुम जो अच्छा जान पड़ता है, वह कहो।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.