स राजराजो भव सत्यसंगर:
कुलं च शीलं च हि जन्म रक्ष च।
परत्र वासे हि वदन्त्यनुत्तमं
तपोधना: सत्यवचो हितं नृणाम्॥ २९॥
अनुवाद
तुम राजाओं के राजा हो, इसलिए सत्य की प्रतिज्ञा करो और उस सत्य के माध्यम से अपने कुल, शील और जन्म की रक्षा करो। तपस्वी पुरुष कहते हैं कि सत्य बोलना सबसे श्रेष्ठ धर्म है। जब मनुष्य परलोक में निवास करता है, तब सत्य बोलना उसके लिए अत्यंत कल्याणकारी होता है।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे एकादश: सर्ग:॥ ११॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें ग्यारहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ११॥