श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 11: कैकेयी का राजा को दो वरों का स्मरण दिलाकर भरत के लिये अभिषेक और राम के लिये चौदह वर्षों का वनवास माँगना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  2.11.17 
 
 
इति देवी महेष्वासं परिगृह्याभिशस्य च।
तत: परमुवाचेदं वरदं काममोहितम्॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार कामदेव मोहित होकर वर देने को तैयार हो गए। तब महाधनुर्धर राजा दशरथ को अपनी मुट्ठी में करके देवीकैकेयी ने पहले उनकी प्रशंसा की; फिर इस प्रकार कहा-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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