वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 11: कैकेयी का राजा को दो वरों का स्मरण दिलाकर भरत के लिये अभिषेक और राम के लिये चौदह वर्षों का वनवास माँगना
»
श्लोक 17
श्लोक
2.11.17
इति देवी महेष्वासं परिगृह्याभिशस्य च।
तत: परमुवाचेदं वरदं काममोहितम्॥ १७॥
अनुवाद
play_arrowpause
इस प्रकार कामदेव मोहित होकर वर देने को तैयार हो गए। तब महाधनुर्धर राजा दशरथ को अपनी मुट्ठी में करके देवीकैकेयी ने पहले उनकी प्रशंसा की; फिर इस प्रकार कहा-
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.