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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 11: कैकेयी का राजा को दो वरों का स्मरण दिलाकर भरत के लिये अभिषेक और राम के लिये चौदह वर्षों का वनवास माँगना
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श्लोक 13
श्लोक
2.11.13
यथा क्रमेण शपसे वरं मम ददासि च।
तच्छृण्वन्तु त्रयस्त्रिंशद् देवा: सेन्द्रपुरोगमा:॥ १३॥
अनुवाद
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राजन! इन्द्रादि तैंतीसों देवता आपके वर देने की शपथ लेने और मुझे वर देने की प्रक्रिया के साक्षी हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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