श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 11: कैकेयी का राजा को दो वरों का स्मरण दिलाकर भरत के लिये अभिषेक और राम के लिये चौदह वर्षों का वनवास माँगना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  2.11.12 
 
 
तेन वाक्येन संहृष्टा तमभिप्रायमात्मन:।
व्याजहार महाघोरमभ्यागतमिवान्तकम्॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  राजा उस शपथयुक्त वचन से बहुत प्रसन्न हुआ था। उसने अपने उस विचार को, जो आये हुए यमराज के समान अत्यन्त भयानक था, इन शब्दों में व्यक्त किया—।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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