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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 1: श्रीराम के सद्गुणों का वर्णन, राजा दशरथ का श्रीराम को युवराज बनाने का विचार
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श्लोक 8
श्लोक
2.1.8
कौसल्या शुशुभे तेन पुत्रेणामिततेजसा।
यथा वरेण देवानामदितिर्वज्रपाणिना॥ ८॥
अनुवाद
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कौसल्या माँ अपने अनंत तेजस्वी पुत्र श्रीरामचन्द्रजी के कारण वैसी ही शोभायमान होती थीं, जैसे देवों के स्वामी इन्द्र के वज्र से देवलोक की माता अदिति शोभायमान होती हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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