तान् वेश्मनानाभरणैर्यथार्हं प्रतिपूजितान्।
ददर्शालंकृतो राजा प्रजापतिरिव प्रजा:॥ ४७॥
अनुवाद
उन सबको विभिन्न आभूषणों से सुशोभित कर घर में उचित स्थान दिया गया। उसके बाद राजा दशरथ भी स्वयं को आभूषणों से सजाकर उनसे मिले, जैसे प्रजापति ब्रह्मा प्रजा से मिलते हैं।