श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के सद्गुणों का वर्णन, राजा दशरथ का श्रीराम को युवराज बनाने का विचार  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  2.1.40 
 
 
महीमहमिमां कृत्स्नामधितिष्ठन्तमात्मजम्।
अनेन वयसा दृष्ट्वा यथा स्वर्गमवाप्नुयाम्॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  मैं इसी उम्र में अपने पुत्र श्रीराम को इस पूरी पृथ्वी के राज्य करते हुए देखकर सही समय पर सुखपूर्वक स्वर्ग को प्राप्त कर सकूँ, यही मेरे जीवन का सपना है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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