श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम के सद्गुणों का वर्णन, राजा दशरथ का श्रीराम को युवराज बनाने का विचार  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  2.1.29 
 
 
धनुर्वेदविदां श्रेष्ठो लोकेऽतिरथसम्मत:।
अभियाता प्रहर्ता च सेनानयविशारद:॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री रामचंद्र जी इस दुनिया में धनुर्वेद के सभी विद्वानों में श्रेष्ठ थे। अतिरथी वीर भी उनका विशेष सम्मान करते थे। शत्रु सेना पर आक्रमण करने और प्रहार करने में वे बहुत कुशल थे। उन्होंने सेना संचालन की नीति में अधिक निपुणता हासिल की थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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