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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 1: श्रीराम के सद्गुणों का वर्णन, राजा दशरथ का श्रीराम को युवराज बनाने का विचार
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श्लोक 22
श्लोक
2.1.22
धर्मकामार्थतत्त्वज्ञ: स्मृतिमान् प्रतिभानवान्।
लौकिके समयाचारे कृतकल्पो विशारद:॥ २२॥
अनुवाद
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वे धर्म, काम और अर्थ के तत्त्वों को भली-भाँति जानते थे। उनकी स्मरण शक्ति प्रबल थी और वे प्रतिभाशाली थे। वे लोकव्यवहार का कुशलतापूर्वक संपादन कर सकते थे और समयोचित धर्माचरण में निपुण थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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