श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  1.75.8 
 
 
स त्वं धर्मपरो भूत्वा कश्यपाय वसुंधराम्।
दत्त्वा वनमुपागम्य महेन्द्रकृतकेतन:॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार आप धर्म में तत्पर होकर कश्यपजी को वसुंधरा (पृथ्वी) दान करके वन में जाकर महेन्द्र पर्वत पर आश्रम बनाकर रहते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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