श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 6-7
 
 
श्लोक  1.75.6-7 
 
 
क्षत्ररोषात् प्रशान्तस्त्वं ब्राह्मणश्च महातपा:।
बालानां मम पुत्राणामभयं दातुमर्हसि॥ ६॥
भार्गवाणां कुले जात: स्वाध्यायव्रतशालिनाम्।
सहस्राक्षे प्रतिज्ञाय शस्त्रं प्रक्षिप्तवानसि॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  हे ब्राह्मण! आप स्वाध्याय और व्रत के पालन से यशस्वी भृगुवंशी ब्राह्मणों के कुल में उत्पन्न हुए हैं। आप स्वयं भी महान् तपस्वी और ब्रह्मज्ञानी हैं। क्षत्रियों पर अपना क्रोध प्रकट करके अब शांत हो गए हैं। इसलिए मेरे इन छोटे बालकों को अभयदान देने की कृपा करें। क्योंकि आपने इन्द्र के समीप प्रतिज्ञा करके शस्त्र का परित्याग कर दिया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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