श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  1.75.5 
 
 
तस्य तद् वचनं श्रुत्वा राजा दशरथस्तदा।
विषण्णवदनो दीन: प्राञ्जलिर्वाक्यमब्रवीत्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  तब परशुराम के उन वचनों को सुनकर राजा दशरथ का मुख विषाद से भर गया। वे दीन भाव से हाथ जोड़कर बोले-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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