श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  1.75.26 
 
 
दत्त्वा महेन्द्रनिलयस्तपोबलसमन्वित:।
श्रुत्वा तु धनुषो भेदं ततोऽहं द्रुतमागत:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  मैंने पृथ्वी का दान कर दिया और महेन्द्र पर्वत पर निवास करने लगा। वहाँ तपस्या करके तपोबल से सम्पन्न हुआ। वहाँ से शिवजी के धनुष के टूटने का समाचार सुनकर मैं शीघ्रता पूर्वक यहाँ आया हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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