श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 23-24h
 
 
श्लोक  1.75.23-24h 
 
 
न्यस्तशस्त्रे पितरि मे तपोबलसमन्विते॥ २३॥
अर्जुनो विदधे मृत्युं प्राकृतां बुद्धिमास्थित:।
 
 
अनुवाद
 
  तप बल से संपन्न मेरे पिता जमदग्नि ने जब अस्त्र-शस्त्रों का त्याग कर ध्यान लगाया था, तो उस समय प्राकृतिक बुद्धि से प्रेरित कृतवीर्य के पुत्र अर्जुन ने उनकी हत्या कर दी थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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