श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 22-23h
 
 
श्लोक  1.75.22-23h 
 
 
ऋचीकस्तु महातेजा: पुत्रस्याप्रतिकर्मण:॥ २२॥
पितुर्मम ददौ दिव्यं जमदग्नेर्महात्मन:।
 
 
अनुवाद
 
  ऋचीक जी ने, जो महान तेजस्वी थे, प्रतिशोध की भावना से रहित अपने पुत्र और मेरे पिता महात्मा जमदग्नि को यह दिव्य धनुष प्रदान किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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