श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 21-22h
 
 
श्लोक  1.75.21-22h 
 
 
इदं च वैष्णवं राम धनु: परपुरंजयम्॥ २१॥
ऋचीके भार्गवे प्रादाद् विष्णु: स न्यासमुत्तमम्।
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम! शत्रुओं की नगरी पर विजय दिलाने वाले इस वैष्णव धनुष को भगवान विष्णु ने भृगुवंशी ऋषि ऋचीक को एक अद्भुत उपहार के रूप में प्रदान किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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