श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 18-19h
 
 
श्लोक  1.75.18-19h 
 
 
देवैस्तदा समागम्य सर्षिसङ्घ: सचारणै:॥ १८॥
याचितौ प्रशमं तत्र जग्मतुस्तौ सुरोत्तमौ।
 
 
अनुवाद
 
  देवताओं ने ऋषियों और चारणों समेत दोनों श्रेष्ठ देवताओं से शांति की प्रार्थना की। दोनों श्रेष्ठ देवता शांत हो गए और युद्ध समाप्त हो गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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