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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना
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श्लोक 17-18h
श्लोक
1.75.17-18h
तदा तु जृम्भितं शैवं धनुर्भीमपराक्रमम्॥ १७॥
हुंकारेण महादेव: स्तम्भितोऽथ त्रिलोचन:।
अनुवाद
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उस समय भगवान विष्णु ने एक हुंकार मात्र से शिवजी के उस भयंकर और बलशाली धनुष को शिथिल कर दिया, जिससे त्रिनेत्रधारी महादेवजी स्तम्भित रह गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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