श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  1.75.13 
 
 
इदं द्वितीयं दुर्धर्षं विष्णोर्दत्तं सुरोत्तमै:।
तदिदं वैष्णवं राम धनु: परपुरंजयम्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  यह दूसरा दुर्धर्ष धनुष है, जो मेरे हाथ में है, इसे श्रेष्ठ देवों ने भगवान विष्णु को दिया था। हे श्रीराम! शत्रुओं की नगरी पर विजय प्राप्त करने वाला यही यह वैष्णव धनुष है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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