श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  1.75.10 
 
 
ब्रुवत्येवं दशरथे जामदग्न्य: प्रतापवान्।
अनादृत्य तु तद्वाक्यं राममेवाभ्यभाषत॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  राजा दशरथ उस प्रकार कहते ही रह गये; परंतु ताकतवर परशुराम ने उनकी उन बातों की उपेक्षा करके अपने संवाद को राम से ही जारी रखा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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