श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 68: राजा जनक का संदेश पाकर मन्त्रियों सहित महाराज दशरथ का मिथिला जाने के लिये उद्यत होना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  1.68.6 
 
 
पृष्ट्वा कुशलमव्यग्रं वैदेहो मिथिलाधिप:।
कौशिकानुमते वाक्यं भवन्तमिदमब्रवीत्॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार किसी भी प्रकार की चिंता और परेशानी से रहित होकर अपने कुशलक्षेम की जानकारी देते हुए राजा मिथिलापति विदेहराज ने महर्षि विश्वामित्र की इच्छानुसार आपको यह संदेश भिजवाया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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