मन्त्रिणो बाढमित्याहु: सह सर्वैर्महर्षिभि:।
सुप्रीतश्चाब्रवीद् राजा श्वो यात्रेति च मन्त्रिण:॥ १८॥
अनुवाद
मंत्रियों और सभी महर्षियों ने राजा के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा, "बहुत अच्छा"। राजा को यह सुनकर प्रसन्नता हुई और उसने मंत्रियों से कहा, "कल सुबह ही यात्रा शुरू कर देनी चाहिए"।