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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 68: राजा जनक का संदेश पाकर मन्त्रियों सहित महाराज दशरथ का मिथिला जाने के लिये उद्यत होना
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श्लोक 12
श्लोक
1.68.12
प्रतिज्ञां मम राजेन्द्र निर्वर्तयितुमर्हसि।
पुत्रयोरुभयोरेव प्रीतिं त्वमुपलप्स्यसे॥ १२॥
अनुवाद
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राजेंद्र! आप यहाँ आकर मेरी प्रतिज्ञा को पूर्ण करें। यहाँ आने पर आपको अपने दोनों पुत्रों की शादी की खुशियाँ प्राप्त होंगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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