श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 64: विश्वामित्र का रम्भा को शाप देकर पुनः घोर तपस्या के लिये दीक्षा लेना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  1.64.8 
 
 
सा श्रुत्वा वचनं तस्य कृत्वा रूपमनुत्तमम्।
लोभयामास ललिता विश्वामित्रं शुचिस्मिता॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  देवराज के वचन के उत्तर में वह सुंदर अप्सरा जिसमें मधुर मुस्कान थी, उसने सबसे उत्तम और मनमोहक रूप बनाकर, विश्वामित्र को मोहित करना प्रारंभ किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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