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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 64: विश्वामित्र का रम्भा को शाप देकर पुनः घोर तपस्या के लिये दीक्षा लेना
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श्लोक 3
श्लोक
1.64.3
अयं सुरपते घोरो विश्वामित्रो महामुनि:।
क्रोधमुत्स्रक्ष्यते घोरं मयि देव न संशय:॥ ३॥
अनुवाद
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सुरपते! ये महामुनि विश्वामित्र अत्यंत भयानक हैं। हे देव! इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये मुझ पर भयंकर क्रोध करेंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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