वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 64: विश्वामित्र का रम्भा को शाप देकर पुनः घोर तपस्या के लिये दीक्षा लेना
»
श्लोक 2
श्लोक
1.64.2
तथोक्ता साप्सरा राम सहस्राक्षेण धीमता।
व्रीडिता प्राञ्जलिर्वाक्यं प्रत्युवाच सुरेश्वरम्॥ २॥
अनुवाद
play_arrowpause
श्री राम! जब बुद्धिमान हजारों आँखों वाले इन्द्र ने ऐसा कहा, तो वह अप्सरा लज्जित होकर हाथ जोड़कर देवराज इन्द्र से बोली-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.