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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 64: विश्वामित्र का रम्भा को शाप देकर पुनः घोर तपस्या के लिये दीक्षा लेना
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श्लोक 16
श्लोक
1.64.16
कोपेन च महातेजास्तपोऽपहरणे कृते।
इन्द्रियैरजितै राम न लेभे शान्तिमात्मन:॥ १६॥
अनुवाद
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श्रीराम! ब्रह्मर्षि विश्वामित्र के क्रोध के कारण तपस्या का नाश हो गया, इन्द्रियाँ अभी भी वश में नहीं हुई हैं, यह विचारकर उनके हृदय को शांति नहीं मिल रही थी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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