श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 64: विश्वामित्र का रम्भा को शाप देकर पुनः घोर तपस्या के लिये दीक्षा लेना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  1.64.14 
 
 
एवमुक्त्वा महातेजा विश्वामित्रो महामुनि:।
अशक्नुवन् धारयितुं कोपं संतापमात्मन:॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  एवमुक्त्वा अतिशय तेजस्वी महान ऋषि विश्वामित्र अपने क्रोध को रोक न सके, जिसके कारण वह अपने मन में बहुत दुःखी हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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