श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 64: विश्वामित्र का रम्भा को शाप देकर पुनः घोर तपस्या के लिये दीक्षा लेना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  1.64.13 
 
 
ब्राह्मण: सुमहातेजास्तपोबलसमन्वित:।
उद्धरिष्यति रम्भे त्वां मत्क्रोधकलुषीकृताम्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  रम्भे! शाप का समय समाप्त होने के बाद, एक महान तेजस्वी और तपोबल से संपन्न ब्राह्मण (ब्रह्माजी के पुत्र वसिष्ठ) मेरे क्रोध के कारण हुए तेरे कलंक को दूर करेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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