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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 64: विश्वामित्र का रम्भा को शाप देकर पुनः घोर तपस्या के लिये दीक्षा लेना
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श्लोक 10
श्लोक
1.64.10
अथ तस्य च शब्देन गीतेनाप्रतिमेन च।
दर्शनेन च रम्भाया मुनि: संदेहमागत:॥ १०॥
अनुवाद
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रम्भा के अप्रतिम गीत और अचानक दर्शन के साथ ही कोकिल के मधुर कलरव ने मुनि के मन में संदेह पैदा कर दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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